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   T.D. institute of professional studies and research center Rewa   07/01/2024 T.d.i.p.s.nursing college rewa (mp) Add. Sirmour Road Lauwa Laxmanpur Rewa(MP) TD I P S Nursing College Rewa MP This college is situated in Sirmaur Road, 13 kilometers away from Rewa city. Different labs have been made for this college practical which makes it easier for the students to understand. Here teachers teach through projectors. All students are given separate computers so that they can get education in a better way. Course  G.N.M.  B.Sc. (Nursing) B.Sc (Post Basic) Regular: 2 yrs Distance: 3 yrs M. Sc. 2 years G.N.M.  1. Minimum education eligibility criteria for admission to GNM: 10+2 with English and must have obtained a minimum of 40% at the qualifying examination and English individually from any recognized board. Candidates are also eligible from State Open School recognized by State Government and National Institute of Open School (NIOS) recognized by Centr...

भारत में बैंकों का राष्ट्रीयकरण कब हुआ था?, बैंक प्रबंधन समिति क्या है?, प्राचीन काल तथा मध्‍यकाल में बैंकिंग व्‍यवसाय पर संक्ष्प्ति वर्णन

बैंकिंग क्या है और इसका इतिहास क्या है? प्राचीन काल तथा मध्‍यकाल में बैंकिंग व्‍यवसाय पर संक्ष्प्ति वर्णन  praacheen kaal tatha madhyakaal mein bainking vyavasaay par sankshpti varnan भारत में प्राचीन काल से ही किसी न किसी रूप में रूपयों का लेन देन होता था बौद्ध काल से ही कुछ ऐसी संस्‍थांए थी जो की व्‍यापारियों और विदेशों में जाने या घूमने के लिए उधार देते थे। प्राचीनकाल में कागज के नोट बिल या चेक आदि का प्रयोंग नही किया जाता था। बल्कि 12 वी शताब्‍दी से गाव में साहूकारों तथा बडे सेठों से रूपया को उधार लेने लगें। ये जो सेठ महाजन होते थे वह राजा महाराजाओं तथा मुगलो को भी आर्थि सहायता दिया करते थे। इन लोगों को जगत सेठ के नाम से जाने जाते थे।  प्राचीन भारतीय बैंकिंग व्यवस्था           भारत में सबसे पहले बैंक की स्‍थापना  सन 1881 में की गई थी जिसका नाम  अवध कॉमर्शियल बैंक था। उसके बाद फिर पंजाब नेशनल बैंक की स्‍थापना सन 1894 हुई थी। सन 1906 में स्‍वदेशी आंदोलन शुरू होने के कारण वाणिज्‍यक बैंकों की स्‍थापना को प्रोत्‍साहन मिला। वर्ष 1913 ...

भुगतान संतुलन अर्थ , परिभाषा, प्रकार, कारण, उपाय

  भुगतान संतुलन अर्थ क्‍या है| bhugtan santulan ka arth  भुगतान संतुलन की परिभाषा| bhugtan santulan ki paribhasha भुगतान संतुलन कितने प्रकार| bhugtan santulan ke prakar भुगतान संतुलन के प्रतिकूल होने के क्या कारण| bhugtan santulan ke karn भुगतान संतुलन में असंतुलन को दूर करने के उपाय| bhugtan santulan ke upay भुगतान संतुलन क्या होता है?  bhugtan santulan kya hai भुगतान संतुलन से अभिप्राय है कि देश के समस्त आया तो एवं निर्यात ओ के साथ अन्य सेवाओं के मूल्यों के संपूर्ण विवरण से है जो एक निश्चित समय के लिए बनाया जाता है भुगतान संतुलन में देश की विदेशी मुद्रा की लेन और देन का ब्यावरा शामिल किया जाता है। भुगतान संतुलन की परिभाषा/  bhugtan santulan ko paribhashit kijiye प्रोफेसर हेबरलर के अनुसार भुगतान संतुलन का अर्थ किसी भी हुई समय में विदेशी मुद्रा की खरीदी एवं बेची गई मात्रा से है। प्रोफेसर बेनहम के अनुसार किसी देश का भुगतान संतुलन उसका शेष विश्व के साथ एक समय में दी जाने वाली मौद्रिक लेनदेन का विवरण होता है जबकि एक देश का व्यापार संतुलन एक निश्चित समय में इसके आयात एवं...

मांंग का अर्थ , परिभाषा, तत्‍व, व‍िशेषताऍं ,व्‍याख्‍या , मान्‍यताऍं , अपवाद

   मॉंंग से आप क्‍या समझते है,   मॉंग को प्रभावित करने वाले तत्‍व लिखिए,   मॉंग की परिभाषा,  मॉंग के नियम लिखिए,   माँँग के नियम की विशेेषता, मॉंग के नियम की मान्‍यता लिखिए,   माँँग के नियम लागू होने के कारण बताइए,   मॉंग के नियम के अपवाद लिखिए       mang ka niyam mang ka arth likhiye mang ka arth mang ke niyam se kya abhipray hai mang ki paribhasha mang ki paribhasha in hindi mang ke tatv mang ke niyam mang ke niyam ki visheshtayen bataiye mang ke niyam ki vyakhya mang ke niyam ke apvad mang ke niyam ki manyata मांग का अर्थ एवं परिभाषा /  mang ka arth likhiye माॅग से अभिप्राय है कि एक दी हुई वस्तु की उन विभिन्न मात्राओं से हैं जिन्हें उपभोक्ता एक बाजार में किसी दिए हुए समय में विभिन्न मूल्यों पर खरीद करते हैं वस्तु के लिए केवल इच्छा का होना ही वस्तु की मांग नहीं कहलाते बल्कि इच्छा की पूर्ति के लिए व्यक्तियों के पास साधन भी होने चाहिए तभी वह माग कहलाएगी।   अर्थशास्त्र में मांग की परिभाषा क्या है?/  mang ki paribh...

मांग की लोच का अर्थ, परिभाषा, महत्त्व , कारक, तत्वों सहित व्‍याख्‍या

mang ki loch ke prakar mang ki loch kya hai mang ki loch ki vyakhya kijiye मांग की लोच का अर्थ /  mang ki loch ka mahatva अर्थशास्‍त्र में वस्‍तु की कीमत में होने वाले परिवर्तन के परिणामस्‍वरूप उस वस्‍तु की मॉग में जिस मात्रा में या गति में परिवर्तन होता है । उसे ही मॉग की लोच कहते है । इस प्रकार मॉग में लोच मॉग एवं कीमत की संबंध को स्‍पष्‍ट करती है ।        माँग की लोच की परिभाषा बताइए/  mang ki loch ki paribhasha प्रोफेसर मार्शल के अनुसार - बाजार में मॉग की लोच का कम या अधिक होना इस बात पर निर्भर करता है कि एक निशिचत मात्रा में कीमत के घट जाने पर मॉंग की मात्रा अधिक वृृद्धि होती है । अगर वस्‍तु की कीमत बढ़ जाने पर वस्‍तु की मॉग में की होती है ।      प्रोफेसर केयरनक्रास के अनुसार - किसी वस्‍तु की मॉंग की लोच वह दर है जिस पर खरीदी जाने वाली मात्रा की कीमत परिवर्तनों के परिणामस्‍वरूप में बदलती है ।   मांग की लोच के क्या महत्त्व है /  mang ki loch ka mahatva   1)मूल्‍य के निर्धारण करने में महत्‍व - मॉंग की लोच अधिक हो...

पूर्ति का अर्थ , परिभाषा, नियम, प्रकार, कारक , अपवाद, मान्‍यताऍं आदि सभी की व्‍याख्या

purti ki paribhasha dijiye purti ke prakar purti ki paribhasha purti ka niyam purti ka arth kya hai purti se kya aashay hai purti hindi meaning purti ke niyam ke apvad likhiye purti kise kahate hain purti ki paribhasha likhiye purti in hindi purti se aap kya samajhte hain purti ka arth bataiye purti ka kya arth hai purti kya hai पूर्ति क्या है पूर्ति की परिभाषा दीजिए पूर्ति की परिभाषा purti ka arth पूर्ति का क्या अर्थ है बताइए/  purti ka arth samjhaie वस्‍तु की वह मात्रा जिसे उत्‍पादन कर्ता एवं उस उत्‍पादन वस्‍तु की विक्रेता दोनों के बीच एक निश्चित मूल्य पर बेचने के तत्‍यपर से है । दूसरे शब्‍दों में किसी वस्‍तु की पूर्ति से आशय उस मात्रा से से है जो किसी समय में कीमत विशेष की पर बाजार में वस्‍तु उपलब्‍ध होती है ।  पूर्ति की परिभाषा /  purti ki paribhasha dijiye प्रो. बेन्हम के अनुसार  - पूर्ति का आशय वस्तु की उस निश्चित मात्रा से है जिसे प्रति इकाई के मूल्य पर किसी निश्चित अबधि में बेचने के लिए विक्रेता द्वारा प्रस्ततु किया जाता है।  पूर्ति के नियम को समझाइये/...