आर्थिक विकास का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं, आर्थिक विकास क्या है आर्थिक विकास तथा आर्थिक वृद्धि में अंतर बताएं

 

आर्थिक विकास का अर्थ | आर्थिक की परिभाषा | आर्थिक विकास की विशेषताएं |आर्थिक विकास की परिभाषा एवं उसकी विशेषताएं |आर्थिक विकास क्या है आर्थिक विकास तथा आर्थिक वृद्धि में अंतर बताएं



आर्थिक विकास का अर्थ

    आर्थिक विकास का अर्थ उस प्रक्र‍िया से है जिससे राष्‍ट्रीय आय एवं प्रति व्‍यक्ति आय में लम्‍बे समय तक या हमेंशा वृद्धि होती रहे, जिससे लोगों के जीवन स्‍तर एवं आर्थिक कल्‍याण का सूचकांक बढ़ता है।

आर्थिक  विकास से आशय

सामान्‍य प्रकार से आर्थिक विकास का आशय कम आय या फिर अल्‍प विकसित देशों में उच्‍च आय वाले विकसित देशों में परिवर्तित करने की इस प्रक्र‍ि‍या से सम्‍बंधित है। परन्‍तु आर्थिक विकास का अध्‍ययन का संबंध राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक आदि में सभी घटक शामिल होते है। जो कि इसके विकास में महत्‍वपूर्ण स्‍थान रखते है। जो इस प्रकार से इस आर्थिक विकास की धारणा है वह चारों ओर व्‍यापक रूप से फैला हुआ है।

आर्थिक की परिभाषा |आर्थिक विकास की परिभाषा एवं उसकी विशेषताएं

मेयर एवं  बाल्‍डविन के अनुसार – आर्थिक विकास एक ऐसी प्रक्र‍िया है  जिसके द्वारा एक अर्थव्‍यवस्‍था की वास्‍तविक राष्‍ट्रीय  आय में लम्‍बे  समय तक वृद्धि होती है।

साइमन कुजनेट्स के अनुसार – मापन की दृष्टि से एक राष्‍ट्र में आर्थिक विकास से आशय उसकी जनसंख्‍या एवं प्रति व्‍यक्ति उत्‍पाद में निरन्‍तर वृद्धि से है।

आर्थिक विकास की विशेषताएं


1)   एक प्रक्र‍िया – आर्थिक विकास एक सतत् प्रक्र‍िया है जिसमें विभाग के अलग-अलग भाग से परस्‍पर एक दूसरे से जुडे रहते है । जैसे – कृषि के बाद उद्योग व सेवाओं का विकास होता है। परन्‍तु इसके साथ हि‍ उद्योग एवं सेवा  कृषि के साथ विकास में सहायक होते  है। विकास की इस प्रक्र‍िया नवीन उत्‍पादन तकनीक तथा बड़े पैमाने का उत्‍पादन और साधलों के वितरण में परिवर्तन द्वारा दीर्घकाल में राष्‍ट्रीय आय की बढ़ाने में सहायक होता है।

2)   राष्‍ट्रीय आय व प्रति व्‍यक्ति आय में वृद्धि – एक देश की वास्‍तविक राष्‍ट्रीय आय को बढ़ाने में उसके विकास का सूचक होते है। यहॉं वास्‍तविक राष्‍ट्रीय आय से आशय उस आय से है जो कि मूल्‍यों सूचकांकों के आधार पर संशोधित कर दी गयी हेा। दूसरे शब्‍दों में, स्थिर मूल्‍यों पर राष्‍ट्रीय उत्‍पाद में वृद्धि होनी चाहिए । वास्‍तविक राष्‍ट्रीय आय बढ़ने पर विकास को मापने में एक सरल एवं लोकप्रिय आधार है परन्‍तु यह भ्रान्ति पूर्ण भी है। अगर राष्‍ट्रीय आय की तुलना में जनसंख्‍या की दर अधिक बढ़ जाए तो प्रति व्‍यक्ति आय बढ़ने के जगह पर कम हो जायेगी । इस कारण से राष्‍ट्रीय आय जनकल्‍याण की सही सूचक नहीं है। इस कारण आर्थिक विकास में प्रति व्‍यक्ति वास्‍तविक राष्‍ट्रीय  आय में वृद्धि का प्रमुख स्थान दिया है।

3)   जनसंख्‍या में वृद्धि – आर्थिक विकास के लिए यह आवश्‍यक है कि जनसंख्‍या बढ़ने के साथ हि प्रति व्‍यक्ति वास्‍तविक आय भी बढ़नी चाहिए ।

4)   दीर्घकालीन तक वृद्धि – आर्थिक विकास उसी दशा में माना जाता है जबकि प्रति व्‍यक्ति वास्‍तविक आय में वृद्धि समय से संबंधित न होकर लम्‍बे समय तक निरन्‍तर होती है।जनसंख्‍या के जीवन स्‍तर में वृद्धि करना – अगर राष्‍ट्रीय आय बढता है तो एक बड़ा भाग धनी लोग द्वारा ले लिया जायेगा इस कारण से आर्थिक विकास ज्‍यादा सार्थक नहीं माना जाता है। इसके लिए यह आवश्‍यक है कि प्रति व्‍यक्ति आय में बढ़ोत्‍तरी हो जिससे कि जनसंख्‍या की जीवन स्‍तर में सुधार हो सके आर्थिक कल्‍याण में वृद्धि होनी चाहिए। 

आर्थिक विकास क्या है आर्थिक विकास तथा आर्थिक वृद्धि में अंतर बताएं

आर्थिक विकास एवं आर्थिक संवृद्धि में अन्‍तर

क्र

अन्‍तर का आधार

आर्थिक विकास

आर्थिक संवृद्धि

1.

विस्‍तृत अवधारणा

आर्थिक विकास का सम्‍बंध उत्‍पादन तथा प्रति व्‍यक्ति व्‍यक्ति आय मूं वृद्धि के साथ- साथ संस्‍थागत प्रबंध एवं संरचनात्‍मक परिवर्तनों से भी होती है अत: यह एक विस्‍तृत अवधारणा है।

आर्थिक संवृद्धि का संबंन्‍ध केवल उत्‍पादन एवं प्रति व्‍यक्ति की आय के बढ़ने से होता है।

2.

सामाजिक न्‍याय

आर्थिक विकास में उत्‍पादन तथ आय में बढ़ने के साथ-साथ सामाजिक न्‍याय भी आवश्‍यक होता है।

आर्थिक संवृद्धि में उत्‍पादन एवं आय में बढ़ने के साथ साथ सामाजिक न्‍याय में को आवश्‍यक नहीं होता है।

3.

समग्रता

आर्थिक विकास अर्थव्‍यवस्था की सम्‍पूर्ण वृद्धि को दर्शाता है।

आर्थिक संवृद्धि अर्थव्‍यवस्‍था में केवल क्षेत्रात्‍मक वृद्धि को दर्शाता है।

4.

लक्ष्‍य

आर्थिक विकास के लक्ष्‍य पूर्व में निधारित होते हैं। उन्‍हीं के अनुरूप अर्थव्‍यवस्‍था निर्देशित होती है।

आर्थिक संवृद्धि में कोई विशिष्‍ट उद्देश्‍य व लक्ष्‍य पूर्व में निर्धारित नहीं होता है।

5.

विकास की दिशा

आर्थिक विकास का आशय प्राय: सकारात्‍मक होता है। विकास का अभिप्राय यह है कि व्‍यवस्‍था को उच्‍चतर स्‍तर पर ले जाने से होता है।

आर्थिक संवृद्धि की दर कभी – कभी नकारात्‍मक भी हो सकती है जिसे आर्थिक अवनति कहा जाता है।

6.

अर्थवस्‍था का सम्‍बन्‍ध

आर्थिक विकास को प्राय: अल्‍प – विकसित देशों के सन्‍दर्भ में प्रयुक्‍त किया जाता है।

आर्थिक संवृद्धि को प्राय: विकसित देशों के सन्‍दर्भ में प्रयुक्‍त किया जाता है।

और नया पुराने