सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

बाजार का अर्थ , परिभाषा, प्रकार , व‍िशेषताएँँ , तत्‍व

bajar ka arth likhiye

bajar kitne prakar ke hote hain

bajar kya hai

bajar se kya aashay hai
bajar se aap kya samajhte hain
bajar kya hota hai
hindi mein bajar kaise likhate hain
bajar ke prakar
bajar mein kya hai
bajar ka arth
bajar ka arth kya hai
bajar ko paribhashit kijiye
bajar se kya abhipray hai
bajar kitne prakar ke hain
bajar ke prakar bataiye

bajar kise kahate hain

bajar ki paribhasha

bajar ka visheshan

bajar ka arth bataiye

bajar ki visheshta

bajar ki visheshtaen

acche bajar ke kinhin do lakshanon ka ullekh kijiye

bajar ki paribhasha dijiye

बाजार का अर्थ प्रकार व‍िशेेषताऍं


 अर्थशास्त्र में बाजार का क्या अर्थ है?/ bajar ka arth?

बाजार एक ऐसे स्थान को कहते हैं जहां पर किसी वस्तु के क्रेता तथा विक्रेता एकत्रित होते हैं और वस्तुओं का क्रय विक्रय करते हैं परंतु अर्थशास्त्र में बाजार का अर्थ भिंन्‍न बताया गया है अर्थशास्त्र में बाजार का अर्थ एक ऐसे स्थान से है जहां किसी वस्तु के क्रेता विक्रेता फैले होते हैं उनमें स्वतंत्र प्रतियोगिता होती है जिसके कारण वस्तु के मूल्य में एक समान पाई जाती है उसे बाजार कहते हैं।


bajar ka paryayvachi shabd
बाजार का पर्यावाची शब्‍द है - हाट 

अर्थशास्त्र में बाजार की परिभाषा दीजिए/ bajar ki paribhasha likhiye?


प्रोफ़ेसर मार्शल के अनुसार- बाजार शब्द से आशय किसी विशेष स्थान से नहीं होता जहां वस्तुएं खरीदी बेची जाती हो बल्कि मैसेज समस्त क्षेत्र से होता है जहां पर पिता विक्रेताओं के बीच स्वतंत्र रूप से लेनदेन हो जिससे किसी भी वस्तु का मूल्य सहज एवं सामान्य रूप से प्रगति रखता हो।

bajar ki do paribhasha likhiye

प्रोफेसर एली के अनुसार 

बाजार का अभिप्राय किसी ऐसे सामान्य क्षेत्र से होता है जिसमें वस्तु का मूल्य निर्धारित करने वाली शक्ति कार्यशील होती है।

प्रोफ़ेसर कूर्नो के अनुसार

 अर्थशास्त्र में बाजार शब्द का अर्थ ऐसे स्थान से नहीं होता है जहां पर वस्तु का क्रेता विक्रेता होता है बल्कि उस समस्त क्षेत्र से होता है जहां पर केता विक्रेता स्वतंत्र रूप से संबंध होता है  वस्तु की मूल्य में सरलता एवं शीघ्रता से एक समान पाई जाती है।

बाजार के प्रकार / bajar ke prakar

क्षेत्र के आधार पर बाजार का प्रकार


स्थानीय बाजार किसे कहते हैं

स्थानी बाजार से कुछ बाजार से होता है जिसमें क्रेता विक्रेता एक छोटे स्थान तक ही सीमित होते हैं इस बाजार के अंतर्गत आती हैं जो कम समय में नष्ट हो जाती है जैसे दूध दही सब्जी मछली अंडा आदि होता है।


प्रादेशिक बाजार किसे कहते हैं

इस बाजार को दूसरे नाम से भी जाना जाता है प्रांतीय बाजार या बाजार स्थानीय बाजार से ज्यादा बड़ा होता है इसमें वस्तु की महक बड़े क्षेत्रों अथवा प्रदेश तक ही सीमित होती है उदाहरण के लिए लाख की चूड़ियां का बाजार एक व्यापार है क्योंकि यह राजस्थान तक ही सीमित है।


राष्ट्रीय बाजार किसे कहते हैं

जब किसी वस्तु के क्रेता विक्रेता पूरे देश में फैले हुए होते हैं तो उस वस्तु का बाजार राष्ट्रीय बाजार कहलाता है जैसे साड़ियां तथा चूड़ियां आज की मांग संपूर्ण देश में होती है इसलिए इनका बाजार राष्ट्रीय बाजार कहलाता है।


अंतरराष्ट्रीय बाजार किसे कहते हैं

यदि किसी वस्तु को खरीदने एवं बेचने वाले व्यापारी पूरे देश में पाए जाते हैं और जिस वस्तु की मांग पूरे संसार की माघ हो उसे अंतरराष्ट्रीय बाजार कहते हैं जैसे सोना चांदी को हूं आदि अंतरराष्ट्रीय बाजार की वस्तुएं के अंतर्गत आती है।


बजट क्या है, अर्थ, परिभाषा, प्रकार, विशेषताएं, महत्‍व,

समय के आधार पर बाजार का प्रकार

अल्पकालीन बाजार क्या होता है?

दैनिक बाजार या अल्पकालीन बाजार

यह बाजार वस्तुओं का बाजार होता है जो शीघ्र अति शीघ्र नष्ट होने वाली या खराब होने वाली होती हैं जैसे दूध दही मछली सब्जी यह निश्चित किया जाता है कि इनकी पूर्ति में वृद्धि संभव नहीं आता ऐसी परिस्थिति में मां का महत्व अधिक होता है।

अल्पकालिक बाजार

अल्पकालिक बाजार में मां की अधिक महत्व होता है किंतु समय अधिक हो जाने पर और उन्हें सुधार करना या परिवर्तन करने की संभव होता है


दीर्घकालीन बाजार से आप क्या समझते हैं?

सिया बाजार ऐसे वस्तुओं का बाजार होता है जो बहुत समय पर नष्ट नहीं होते हैं और इनकी पूर्ति बढ़ाया जा सकता है जैसे गेहूं चावल चीनी वस्त्र आदि इन्हीं वर्ग में आते हैं क्योंकि नष्ट नहीं होते हैं।


अति दीर्घकालीन बाजार किसे कहते हैं

इस तरह के बाजार को युग कालीन बाजार भी कहा जाता है क्योंकि इसमें वस्तु की नष्ट होने की संभावना बहुत लंबे समय तक होती है और बहुत अधिक टिकाऊ होती है इस कारण से इसे कालीन बाजार भी कहा जाता है।


कार्य के आधार पर बाजार का वर्गीकरण 

विशिष्ट बाजार क्या है

इस बाजार में केवल एक ही प्रकार की वस्तु का क्रय विक्रय किया जाता है जैसे गल्ला मंडी सब्जी मंडी आदि

सामान्य या मिश्रित बाजार क्या है

इस बाजार के अंतर्गत सभी प्रकार के वस्तुओं का क्रय विक्रय किया जाता है ऐसे बाजार साधारण सा सभी स्थानों पर पाए जाते हैं जहां पर खुदरा एवं फुटकर व्यापार किया जाता है।

नमूने द्वारा बिक्री से आप क्या समझते हैं?

वर्तमान समय में बड़े पैमाने में क्रय विक्रय करने के लिए प्रतिनिधियों को वस्तुओं के नमूने दे देती है उन नामों के आधार पर वस्तुओं को बुक करने का आर्डर प्राप्त करते हैं जैसे कपड़े के नमूने पेंट ऑन आदि सामान्य शब्दों में ऐसा कह सकते हैं कि जो बड़ी-बड़ी कंपनियां सैंपल के आधार पर विक्रेताओं को दिया जाता है उसके बाद विक्रेता उस हिसाब से उसे करें करता है और माल को बुक करता है।


ग्रेडो द्वारा बिक्री

जब बाजार सभी प्रकार से विकसित हो जाता है तो माल की बिक्री ग्रेडों के आधार पर होती है। अलग-अलग प्रकार की वस्तुओं को विभिन्न प्रकार की ग्रेडो में बांट दिया जाता है सभी का अलग-अलग नाम दे दिया जाता है और उसे खरीदी जाने वाली वस्तु का पूरा ज्ञान होता है।


प्रतियोगिता के आधार पर बाजार का वर्गीकरण

पूर्ण बाजार

पूर्ण बाजार वह स्थिति होती है जिसमें कोई भी क्रेता विक्रेता व्यक्तिगत रूप से बाजार के मूल को प्रभावित करने की स्थिति में नहीं होता । पूर्ण प्रतियोगिता की स्थिति क्रेता पूर्णतया लोचदार कोर्ट की स्थिति तथा विक्रेता पूर्णतया लोचदार मांग की स्थिति का सामना करता है। अर्थात वस्तु का बाजार में एक मूल्य होता है।


अपूर्ण बाजार

जब किसी वस्तु के बाजार में पूर्ण प्रतियोगिता नहीं होती तो उसे अपूर्ण बाजार कहते हैं। अपूर्ण बाजार में खेता विक्रेताओं की जनसंख्या कम होती है और श्वेता तथा विक्रेता को बाजार का पूरा ज्ञान नहीं होता इसलिए बाजार में केंद्रों पर वस्तु का क्रय विक्रय हो रहा है उसका परिणाम स्वरूप भिन्न होता है।


कानून के आधार पर बाजार के प्रकार बताइए

कानून की दृष्टि से बाजार दो प्रकार के होते हैं

वैध बाजार क्या है

जिस बाजार में उपभोक्ताओं को सरकार द्वारा निर्धारित किए गए पैसों या मूल्यों पर वस्तुएं मिलती हैं उन्हें वैध उचित बाजार कहते हैं ।

चोर बाजार का मतलब क्या है?

इस बाजार में विक्रेता द्वारा वस्तुओं को निश्चित मूल्य से अधिक मूल्य पर बेचा जाता है। इसमें यह देखा गया है कि विक्रेता बिना रसीद दिए ही वस्तु का विक्रय करता है।


बाजार की विशेषताएं क्या हैं?/ bajar ki visheshta


वस्तु

हम बाजार में किसी ना किसी वस्तु का होना आवश्यक है जिसका क्रय विक्रय होता हो बिना वस्त्र के बाजार की कल्पना नहीं की जा सकती है।

क्रेता तथा विक्रेता

विनिमय में करने के लिए क्रेता तथा विक्रेता का होना आवश्यक है। क्रेता विक्रेता वस्तु की माग को संतुलन करता है। 

एक क्षेत्र

अर्थशास्त्र में बाजार के लिए ए क्षेत्र होना आवश्यक है चाहे वह बड़ा हो या छोटा उसमें किसी वस्तु का क्रय विक्रय क्रेतायो तथा विक्रेताओं के माध्यम होता है।


स्वतंत्र प्रतियोगिता

बाजार के समस्त क्षेत्र में वस्तु की बिक्री के संबंध में क्रेता तथा विक्रेताओं के बीच प्रतिस्पर्धा होता है। 

एक वस्तु का एक समय पर एक मूल्य

बाजार के क्रेता विक्रेताओं के मध्य पूर्ण प्रतियोगिता होती है जिसके कारण बाजार में एक समय पर एक वस्तु की एक ही कीमत होती है जो कि व्यवहार में ऐसा नहीं होता है।



बाजार के लिए सर्वाधिक आवश्यक तत्व क्या है?/ bajar ke tatv


सर्वव्यापी मांग

ऐसे वस्तु जिनकी मांग व्यापक या लगातार बढ़ती जाती है उन वस्तुओं का बाजार उतना ही बढ़ता जाता है जैसे सोना चांदी गेहूं चावल आग की विश्व भर में मांग बढ़ती जा रही है और इनका बाजार अंतरराष्ट्रीय बाजार के अंतर्गत आता है।

वहनीयता

जिन वस्तुओं का आसानी से एक जगह से दूसरी जगह वस्तु को लाया जा सके उनमें वाहनीय गुण होता है। वाहनीय होने की कारण इसका बाजार विस्तृत होता है।

क्योंकि जहां पर लोग अपने वस्तु को मंगाते हैं वहां आसानी से पहुंच जाता है जैसे सोना चांदी जावरा कपड़ा आदि।

टीकाऊपन 

ऐसी वस्तुएं जो शीघ्रता से नष्ट नहीं होती तथा लंबे समय तक चलती रहती है से टिकाऊ वस्तुएं कहते हैं उनका बाजार विस्तृत होता है जैसे मशीन यंत्र सोना चांदी आज टिकाऊ वस्तु होते हैं।


पूर्ति की पर्याप्तता

ऐसी वस्तुएं जिनकी पूर्ति को आवश्यकता आने पर बढ़ाया जा सकता है और उनका बाजार विस्तृत होता है।


ग्रेड या नमूने में बाटने की सुविधा

जिन वस्तुओं की ग्रेड बनाए जा सकते हैं और उनको नमूने के तौर पर ग्राहकों को दिखाया जाता है उनका  बाजार विस्तृत होता है जैसे कपड़ा चाय चीनी आदि





इसे भी पढें 

  1.   बाजार क्या है
  2.  अर्थशास्त्र में बाजार किसे कहते हैं
  3.   बाजार के प्रकार
  4.    बाजार के प्रकार pdf
  5.   बाजार की विशेषताएं लिखिए कोई 3
  6.   बाजार का क्या अर्थ है
  7.   बाजार का अर्थ
  8.  बाजार किसे कहते हैं अर्थशास्त्र
  9. अर्थशास्त्र में बाजार के प्रकार
  10. बाजार का अर्थ और प्रकार
  11. बाजार का अर्थ लिखिए
  12. अर्थशास्त्र में बाजार कितने प्रकार के होते हैं
  13. बाजार की विशेषताएं
  14. बाजार के
  15. बाजार क्या होता है
  16. बाजार से क्या आशय है
  17. बाजार का अर्थ एवं परिभाषा
  18. बाजार का वर्गीकरण pdf


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

satat vikas kya hai

satat vikas ka lakshya kya hai satat vikas ki paribhasha satat vikas ki map kya hai satat vikas se kya abhipray hai satat vikas se kya aashay hai satat vikas ki visheshtaen satat vikas ko mapna satat vikas in hindi  सतत विकास क्या है satat vikas kya hai सतत विकास pdf आर्थ‍िक विकास को जल्‍दी से प्राप्‍त करने की इच्‍छा से प्राकृतिक संसाधनों के अधिक से अधिक दोहन करना ज्‍यादा ऊर्जा की खपत करना,  एवं  प्रदूषण प्रोद्योगिकी को बढ़ावा देना है। जिससे बडे पैमाने पर औद्योगीकरण एवं परिवहन का ज्‍यादा विस्‍तार, संचार के साथ अन्‍य आधारिक संरचना एवं जनसंख्‍या वृद्धि के होने के कारण स्‍वच्‍छ पर्यावरण एवं सुद़ढ़ प्राकृतिक संसाधनों के संरंक्षण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। पर्यावरणीय क्ष्‍ाति न केवल प्रथम पीढ़ी के लिए भी हानिकारक होती है। दूसरे शब्‍दों में यह पर्यावर्णिक पहलुओं पर कोई विचार किये बिना आर्थिक विकास न केवल वर्तमान पीढी को बल्कि भावी   पीढि़यों के जीवन की गुणवत्‍ता को हानि पहुचाती है। इसलिए आर्थिक विकास के साथ एवं पर्यावरण सुरक्षा की आवश्‍यकता के बीच संतुलन को बनाये रख...

बाजार का अर्थ क्‍या है एवं परिभाषा, बाजार के प्रकार एवं विशेषताएँ

  बाजार क्या है यह कितने प्रकार के होते हैं? बाजार का क्या अर्थ लिखिए?/ बाजार एक ऐसे स्थान को कहते हैं जहां पर किसी वस्तु के क्रेता तथा विक्रेता एकत्रित होते हैं और वस्तुओं का क्रय विक्रय करते हैं परंतु अर्थशास्त्र में बाजार का अर्थ भिंन्‍न बताया गया है अर्थशास्त्र में बाजार का अर्थ एक ऐसे स्थान से है जहां किसी वस्तु के क्रेता विक्रेता फैले होते हैं उनमें स्वतंत्र प्रतियोगिता होती है जिसके कारण वस्तु के मूल्य में एक समान पाई जाती है उसे बाजार कहते हैं। अर्थशास्त्र में बाजार की परिभाषा दीजिए प्रोफ़ेसर मार्शल के अनुसार - बाजार शब्द से आशय किसी विशेष स्थान से नहीं होता जहां वस्तुएं खरीदी बेची जाती हो बल्कि मैसेज समस्त क्षेत्र से होता है जहां पर पिता विक्रेताओं के बीच स्वतंत्र रूप से लेनदेन हो जिससे किसी भी वस्तु का मूल्य सहज एवं सामान्य रूप से प्रगति रखता हो। प्रोफेसर एली के अनुसार  बाजार का अभिप्राय किसी ऐसे सामान्य क्षेत्र से होता है जिसमें वस्तु का मूल्य निर्धारित करने वाली शक्ति कार्यशील होती है। प्रोफ़ेसर कूर्नो के अनुसार  अर्थशास्त्र में बाजार शब्द का अर्थ ऐसे स्...

प्राथमिक समंकों के संकलन की विधियों का वर्णन कीजिए। प्राथमिक समंक के गुण-दोष

prathmik samank kise kahate hain samank sankalan ki vidhiyan prathmik samank prathmik samank se kya aashay hai समंक संकलन की विधियां समझाइए   प्राथ‍म‍िक समंकों का संकलन  प्राथ‍म‍िक समंकों का संकलन निम्‍नलिखित विधियों से अध्‍ययन किया जाता है यह विधियॉं प्राथम‍िक विधियॉं कहलाती है।  1) प्रत्‍यक्ष व्‍यक्ति अनुसन्‍धान 2) अप्रत्‍यक्ष मौखिक अनुसन्‍धान  3) संवाददाताओं से सूचना प्राप्ति 4) सूचकों द्वारा अनुसूचियॉं या प्रश्‍नावली भरवाकर सूचना प्राप्ति  5) प्रगणकों द्वारा अनुसूचियॉं भरना  1) प्रत्‍यक्ष व्‍यक्ति अनुसन्‍धान प्रत्‍यक्ष व्‍यक्ति अनुसन्‍धान के अन्‍तर्गत अनुसंधानकर्ता स्‍वयं अनुसन्‍धान के क्षेत्र में  जाकर उन लोगों से जानकारी प्राप्‍त करता है जो अनुसन्‍धान के व‍िषय के क्षेत्र में जानकारी रखते है। यह व‍िधि से ऐसे अनुसन्‍धान के लिए सही होता है जिनका क्षेत्र सीमित तथा स्‍थानीय प्रकृति का होता है और जहा समंकों की मौलिकता, शुद्धता व गोपनीयता महत्‍वपूर्ण होती है। यदि अनुसन्‍धानकर्ता पक्षपात की भावना से दूर रहकर समंकों का संकलन करता है। तो इस व‍िधि से संकल...