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वस्‍तु विनिमय किसे कहते है

वस्‍तु विनिमय किसे कहते है  vastu vinimay kise kahate hain प्राचीनकाल में मुन्‍द्रा का चलन कम था तो वस्‍तु का अदान - प्रदान करके अपना पालन पोषण करते थे । जैसे किसी के पास चावल होने पर और उसे गेहूँ की आवश्‍कता होती थी तो वह चावल के बदले गेहूँ ले सकता था। यह प्रणाली सभी के लिए मान्‍य होती थी।  वस्‍तु विनिमय की  परिभाषा -      

उपभोग का अर्थ. उपभोग के प्रकार, उपभोग का महत्व

upbhog ka arth upbhog ki paribhasha upbhog ke prakar upbhog ke mahatva upbhog ke tatva उपभोग का अर्थ  उपभोग के प्रकार उपभोग का महत्व अर्थशास्त्र में उपभोग से क्या आशय है?/ उपभोग का अर्थ और परिभाषा क्या है? अर्थशास्‍त्र मे उपभोग का अर्थ उस क्रिया से है जिससे की मनुष्‍य को किसी प्रकार की आवश्‍यकता की पूर्ति होती है। जब आवश्‍यकता अनुसार किसी वस्‍तु का उपयोग करता है उसे उपभोग कहते है। सामान्‍यत - उपभोग का अर्थ खाने पीने के वस्‍तु से लगाया जाता है ।    उपभोग की परिभाषा- प्रो. ऐली के अनुसार - अर्थशास्‍त्र  के अन्‍तर्गत उपभोग से आशय मानवीय आवश्‍यकताओं की संन्‍तुष्टि हेतु आर्थिक सेवाओं तथा व्‍यक्तिगत सेवाओं का प्रयोग करने से है ।  प्रो. मेयर्स के अनुसार - स्‍वतंंत्रमानव की आवश्‍यकताओं की सन्‍तुष्टि के लिए वस्‍तुओं तथा सेवाओं का प्रत्‍यक्ष एवं अन्तिम  प्रयोग ही उपभोग कहलाता है ।   उपभोग कितने प्रकार के होते हैं? 1. शीघ्र तथा मंद उपभोग करना -  जब किसी वस्‍तु की उपभोग करने से उस वस्‍तु की उपयोगिता शीघ्रता से नष्‍ट होती है तो इस प्रकार के उपभोग को ...

रेल परिवहन अर्थ , प्रकार, गठन , विकास, महत्‍व , समस्‍या , निराकरण

rail parivahan ka mahatva rail parivahan kise kahate hain rail parivahan ke nuksan rail parivahan ki haniyan rail parivahan ka mahatva bataiye परिवहन से आप क्या समझते हैं? परिवहन का शाब्दिक अर्थ है मनुष्‍य द्वारा बनाई गई सम्पति को एक जगह से दूसरी जगह पर लाने और ले जाने को वाले साधन को परिवहन कहते है । परिवहन साधनो से आशय उस साधन से जिससे व्‍यक्ति अपनी सम्‍पति को एक स्‍थान से दूसरे स्‍थान तक ले जाने के लिए जिस साधन का  उपयोग करता है  उसे परिवहन संसाधन कहते है । परिवहन के  अन्‍तर्गन आने वाले साधन इस प्रकार है  - रेल, सडक, जल और वायु आदि संसाधनों का वर्तमान में प्रयोग किया जाता है । परिवहन के चार प्रकार क्या है सार्वजनिक परिवहन के प्रकार परिवहन के प्रकार निम्‍नलि‍खित है - 1 - रेल परिवहन  2- सडक परिवहन 3- जल परिवहन 4- वायु परिवहन रेल परिवहन क्या है     रेल परिवहन को देश की माल एवं यात्री के लिए महत्‍वपूण संसाधन है । यह देश के विभिन्‍न क्षेत्रों को जोडने का कार्य करता है। देश में दूर स्थिति क्षेत्रों के व्‍यक्ति को देश की यात्रा, तीर्थ यात्रा एवं शिक्षा के ...

मुद्रा बाजार का अर्थ, मुद्रा बाजार के प्रकार, मुद्रा बाजार के कार्य, मुद्रा बाजार के घटक, मुद्रा बाजार के उपकरण new information india

  मुद्रा बाजार क्या है और इसके प्रकार? mudra bazar kya hai or iske prakar? मुद्रा बाजार (Money Market) मनी मार्केट क्या है in Hindi? मुद्रा बाजार एक ऐसी वित्तीय संस्था होती है, जो लाभ जमा करने साथ-साथ उच्च तरलता तथा सुरक्षा (High liquidity and safety) बचतकर्ताओं की भावनाओं का निर्वाह करती है और ऋणों व अधिमों के रूप में व्यापार तथा उद्योगों के लिए मुख्‍य रूप कार्यशील पूँजी उपलब्ध कराती है। और मुद्रा बाजार निवेश योग्य कोषों के लिए माँग तथा पूर्ति से सम्बन्ध रखते हैं तथा इसके साथ एक वर्ष या इससे कम समय में परिपक्व होने वाले कम समय के लिए  ऋण-प्रपत्रों के साथ जल्‍दी और विश्‍वास के साथ  स्थानान्तरण की सुविधा प्रदान करती हैं। मुद्रा बाजार को सरल शब्दों में क्या कहते हैं? मुद्रा बाजार जो है वह एक बाजार नहीं, बल्कि उन अलग -अलग रूपों और संस्थाओं को दिया गया एक सामूहिक नाम है, जो निकट मुद्रा का विभिन्न तरह से लेन-देन किया करते हैं। इस प्रकार से मुद्रा बाजार में माँग और सूचना बाजार, वाणिज्यिक बिल और वाणिज्यिक कागज बाजार, राजकोषीय बिल बाजार तथा अन्तर बैंक बाजार एवं जमा प्रमाण-पत्र बा...

वित्तीय प्रणाली से आप क्या समझते हैं | वित्तीय प्रणाली की विशेषताएं | वित्तीय प्रणाली के घटक| वित्तीय बाजार के प्रकार

  Contents  वित्तीय प्रणाली से आप क्या समझते हैं vittiya pranali se aap kya samajhte hain अर्थव्‍यवस्‍था  में वित्तीय प्रणाली वह व्‍यवस्‍था होती है जिसके अन्‍तर्गत वित्तीय संस्‍थाओं  द्वारा जो  वित्तीय बचतो को इकठठा  किया जाता है उनके निवेशों का प्रभावपूर्ण आवण्‍टन, विकास एवं विस्‍तार में निवेशों का प्रबन्‍धन एवं  नियंत्रण आदि तत्‍वों या संघटकों का समावेश होता है।  वित्तीय प्रणाली का दूसरे शब्‍दो मे अर्थ - यह अर्थव्‍यवस्‍था की वह व्‍यवस्‍था है जिसमें बचत एवं निवेश करने वालों के मध्‍य में निकट सम्‍बन्‍ध स्‍थापित करके  अर्थव्‍यवस्‍था में वित्तीय संसाधनों का संग्रहण विनियोजन प्रबन्‍धन एवं नियंत्रण  किया जाता है।  वित्तीय प्रणाली की विशेषताएं |vittiya pranali ki visheshtaen 1) यह बचतकर्ताओं एवं वित्त की आवश्‍यकता वाले लागों के बीच एक सेतु केरूप में कार्य करती है।  2) वित्तीय प्रणाली वित्तीय संसाधनों का संग्रहण, विनियोजन एवं प्रबन्‍धन किया जाता है।  3) वित्तीय प्रणाली विभिन्‍न संघटकों का संयोजन है।  4) वित्तीय प्रणाली...

भारतीय नियोजन की असफलता के कारण | भारत में आर्थिक नियोजन को सफल बनाने हेतु सुझाव

bharatiy niyojan ki asafalata ke karan |  bharat mein arthik niyojan ko safal banaane hetu sujhav भारतीय नियोजन की असफलता के कारण (Causes of Failures of Indian भारतीय अर्थव्यवस्था में नियोजन काल में आर्थिक क्षेत्र के अन्तर्गत अनेक असफलताओं के प्रमुख कारण निम्नलिखित  हैं-  (1) योजना आयोग की असीमित शक्ति -  योजना आयोग एक स्वायत्त संस्था होने पा भी इसकी शक्ति असीमित है। इसके नीति सम्बन्धी सुझाव आदेश माने जाते हैं। उस पर केन्द्रीय सरकार अपनी इच्छानुसार आयोग का गठन करती है। अत: आयोग स्वतन्त्र निर्णय न लेकर सरकार की कठपुतली बनकर कार्य करता रहा है। (2) आयोग का कार्यकरण -  आयोग का कार्य योजना निर्माण करना है न कि कार्यान्वित करना। कार्यरूप देने का कार्य केन्द्रीय व राज्य सरकारों को होता है। वह पहले से ही लालफीताशाही, अकुशलता तथा भ्रष्टाचार में लिप्त रही हैं। अत: योजनाएँ सही ढंग से कार्यान्वित नहीं हो सकी हैं। (3) भेदभाव -  आयोग राज्यों को अनुदान व वित्तीय सहायता देने में भेदभाव की नीति अपनाता रहा है। अत: संसाधन आबंटन युक्तिपूर्ण ढंग से नहीं हो सका है। (4) नियोजन प...

भारत में आर्थिक सुधार 1991 भारत में आर्थिक सुधार कार्यक्रम के उद्देश्य क्या हैं? आर्थिक सुधार की आवश्यकता

  भारत में आर्थिक सुधार 1991 भारत में आर्थिक सुधार PDF 2014 के बाद आर्थिक सुधार PDF आर्थिक सुधार की विशेषताएं भारत में आर्थिक सुधार कब शुरू किया गया आर्थिक सुधार के प्रभाव आर्थिक सुधारों की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं? आर्थिक सुधारों से क्या समझते हैं? आर्थिक सुधार क्या है इसके मुख्य उद्देश्य बताइए? भारत में आर्थिक सुधार कार्यक्रम के उद्देश्य क्या हैं? आर्थिक सुधार की आवश्यकता आर्थिक सुधार के प्रभाव भारत में आर्थिक सुधार PDF आर्थिक सुधार क्या है भारत में आर्थिक सुधार की आवश्यकता क्यों पड़ी भारत में आर्थिक सुधार कब शुरू किया गया भारत में आर्थिक सुधार 1991 1991 से आर्थिक सुधार कार्यक्रम  जब नरसिंह राव की सरकार बनने पर अनेक प्रकार से आर्थिक सुधार कार्यक्रम प्रारंभ किए गए तथा इन आर्थिक सुधार के कार्यक्रम को आर्थिक नीति कहा जाता है आर्थिक नीति का अभिप्राय एक ऐसा उदारीकृत नीति से है जिसमें निजी क्षेत्र की भूमिका को का बिल में ना हो सार्वजनिक क्षेत्र को दिए जाने अनुदान समाप्त हो वियोग बढ़ाएं समाप्त हो तथा विदेशी प्रत्यक्ष विनियोग का भारत में आवागमन बाधा रहित हो।  आर्थिक नीति का उद्...